Facilities available in government hospitals
एक बाप स्ट्रेचर
पर तडपते हुए
अपने बेटे को
दिलासा दिला रहा
था कि "बेटा
मैं हूँ न
, सब ठीक हो
जाएगा बस तुम्हारी
MRI होना बाकी है
फिर डॉक्टर तुम्हारा इलाज शुरू
कर....."
वो बदकिस्मत बाप अपनी
बात पूरी कर
पाता उस से
पहले ही स्ट्रेचर
पर पड़े उसके
बेटे को एक
भयानक दौरा पड़ा। बात
बीच में छोड़
कर वो उसकी
पीठ पर थप्पी
मारने लगा। अपने इक्लोते
बेटे को यूँ
तडपते हुए देख
उसकी आँखों से
आंसू टपकने लगे। 6
फिट लम्बाई लम्बा चोडा
शरीर था उसका
लेकिन
अपने बेटे की
दुर्दशा देख उसका
सारा पोरुष पिघल
गया। बच्चो की माफिक
रोने लगा।
उसे उम्मीद थी कि
जल्द उसके बेटे
की MRI हो जायेगी।
फिर उसको हुई बिमारी
का पता चल
जाएगा और उसका काम
हो जाएगा। होगा क्यों
नहीं ? देश के
सबसे बड़े अस्पताल
में जो आया
था सारी उम्मीद लेकर आया
था। लेकिन पिछले 1 घंटे से
उसका नंबर न
आया। आता भी कैसे
? अन्दर पहले से
MRI करवाने वालो की
भीड़ जो थी। एक
MRI में करीब आधा
घंटा लगता है। और
50 संवेदनहीन लोग उस
से पहले लाइन
लगा के बेठे
थे। और मशीन 24 घंटे चलती
तब भी उसका
नंबर शायद 2वे
दिन आता। देश का
सबसे बड़ा अस्पताल
! देश के नामी
गिरामी विशेषज्ञों से लेस
अस्पताल !
हम 21 वि सदी
में हैं हमारी GDP की
रफ़्तार सभी देशो
को मात दे
रही है। हमने सबसे
सस्ता मंगल यान
अन्तरिक्ष में भेज
दिया। हर महीने हर सप्ताह
हमारा इसरो नए
कीर्तिमान स्थापित कर रहा
है। हमें न्युक्लिर मिसाइल ग्रुप
की सदस्यता मिलने
वाली है। हम तेजस
जैसे हलके लड़ाकू
विमान बना रहे
हैं। पंडूबियाँ बना रहे
हैं। लेकिन हमारे अस्पतालों में
पर्याप्त Xray मशीन
नहीं हैं पर्याप्त MRI मशीन
नहीं हैं। होंगी भी
कैसे ? या तो
मशीन आती नहीं
हैं और अगर
आ भी जाती
हैं तो उनका
इस्तेमाल करने वाले
डाक्टर नहीं हैं
या फिर सरकारी
हस्पतालो में भीड़
इतनी होती है
की जनता को
उसका लाभ मिल
ही नहीं पाता
आखिर में वो
बिलखता हुआ बाप
स्ट्रेचर पे लेटे
हुए अपने बच्चे
को रोते हुए
बाहर ले गया। शायद
हिम्मत टूट गयी
थी उसकी या उस
बच्चे की साँसे
!! :'( लेकिन रोज मोत
देखने वाले अस्पताल
की संवेदनाये तो
मर चुकी थी उन्हें
क्या फर्क पड़ता
है कि कोई
मरे या जिए आज
दान की जरूरत
मंदिरो से ज्यादा
अस्पतालों को है
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